चिंतन:आनन्द साधन से नहीं साधना से प्राप्त होता..
राधे – राधे
आज का भगवद् चिन्तन
जीना भी सीखिए
आनन्द साधन से नहीं साधना से प्राप्त होता है। आंनद तो भीतर का विषय है। तृप्ति बाहर का नहीं अपितु आत्मा का विषय है। मन को कितना भी मिल जाए , यह अपूर्णता का बार-बार अनुभव कराता रहेगा। जो अपने भीतर तृप्त हो गया उसे बाहर के अभाव कभी परेशान नहीं करते। केवल मानव जन्म मिल जाना ही पर्याप्त नहीं है अपितु हमें जीवन जीने की कला भी आनी आवश्यक है।
पशु-पक्षी तो बिल्कुल भी संग्रह नहीं करते फिर भी उन्हें इस प्रकृति द्वारा जीवनोपयोगी सब कुछ प्राप्त हो जाता है। जीवन तो बड़ा आनंदमय है लेकिन हम अपनी इच्छाओं व वासनाओं के कारण इसे कष्टप्रद और क्लेशमय बनाते हैं। केवल संग्रह के लिए जीने की प्रवृत्ति ही जीवन को कष्टमय बनाती है। जिसे इच्छाओं को छोड़कर आवश्यकताओं में जीना आ गया, समझो उसे सुखमय जीवन का सूत्र भी समझ आ गया।
गौभक्त श्री संजीव कृष्ण ठाकुर जी
एप्पल वैली , अमेरिका
सूचना :- यह खबर Admin Team AB Live News , के द्वारा अपडेट की गई है। इस खबर की सम्पूर्ण जिम्मेदारी Admin Team AB Live News की होगी। www.ablivenews.com या संपादक मंडल की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।