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अंतराष्ट्रीय पुरुष दिवस आज बधाई..समझिए पौरुष के सही मायने…

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अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस

आपसभी को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।_

पुरुष दिवस होने के लिए तो इस धरती पर चार अरब के आसपास पुरुष हैं, फिर भी इस सृस्टि में सबसे कठिन कोई कार्य है, तो वह है पुरुष होना। पुरुष होने के लिए सचमुच बहुत बड़ा कलेजा चाहिए।
जो विपरीत परिस्थितियों में अपने परिवार और समाज की रक्षा के लिए विपदाओं के सामने छाती खोल कर खड़ा हो जाए और सारे कष्ट स्वयं अपने कंधे पर उठा ले, वह होता है पुरुष।

पुरुष होता है वह पिता, जो अपनी संतान की रक्षा के लिए अपनी मरियल सी देह लेकर भी हर विपत्ति में सबसे आगे खड़ा रहता है। व्यक्ति शरीर से नहीं, साहस से पुरुष बनता है।

*पुरुष थे वे भगवान श्री राम* , जिन्होंने बालि के वध के बाद उसकी पत्नी तारा को माता कहा। लंका युद्ध समाप्त होने के बाद रावण के शव पर विलाप करती विधवा मंदोदरी के हृदय में श्री राम को देख कर तनिक भी भय नहीं उपजा, क्योंकि वे जानती थीं कि राम उन्हें क्षति नहीं पहुचायेंगे। एक तरह से देखें तो रावण को मारने से अधिक कठिन था, मंदोदरी के हृदय के भय को मारना। राम उसमें भी सफल रहे। यही पुरुषार्थ है।

यदि कोई स्त्री विपत्ति के क्षण में आपको देखते ही यह सोचकर निश्चिंत हो जाये कि इसके रहते कोई मेरा अहित नहीं कर सकता, तो समझिए कि आप पौरुष प्राप्त कर चुके।

ऐसे पुरुष दिवसों में नहीं बंध सकता, पर यदि कोई दिवस पुरुष के नाम से बंधा है तो जय जयकार हो उस दिवस की। कभी जयशंकर प्रसाद ने कहा था, “नारी तुम केवल श्रद्धा हो” मैं उनके स्वर में स्वर मिला कर कहता हूँ, “पुरुष! तुम केवल विश्वास हो।

आज का दिन शुभ मंगलमय हो।

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सूचना :- यह खबर Admin Team AB Live News , के द्वारा अपडेट की गई है। इस खबर की सम्पूर्ण जिम्मेदारी Admin Team AB Live News की होगी। www.ablivenews.com या संपादक मंडल की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

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