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चिंतन:नारी के भीतर छुपे स्वाभिमान व सामर्थ्य का प्राकट्य ही ‘दुर्गा’ है.

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राधे – राधे

आज का भगवद् चिन्तन

तृतीय नवरात्रि की मंगल बधाई

अपने शरणागत की दुर्गति का नाश कर उसको सदगति प्रदान करने वाली शक्ति का नाम ही दुर्गा है इसीलिए ‘दुर्गा दुर्गति नाशिनी’ भी कहा गया है। दुर्गा शक्ति की उत्पत्ति के पीछे भी बहुत से कारण हैं तथापि मुख्यतः जगत जननी माँ जगदम्बा द्वारा दुर्गम नामक असुर का नाश करने के कारण ही उनका नाम ‘दुर्गा’ पड़ा।

दुर्गम अर्थात जिस तक पहुंचना आसान काम नहीं अथवा जिसका नाश करना हमारी सामर्थ्य से बाहर हो। मनुष्य के भीतर छुपे यह काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे दुर्गुण ही तो दुर्गम असुर हैं जिनका नाश करना आसान तो नहीं लेकिन माँ की कृपा से असंभव भी नहीं है।

नारी के भीतर छुपे स्वाभिमान व सामर्थ्य का प्राकट्य ही ‘दुर्गा’ है। परम शक्ति सम्पन व परम वन्दनीय होने पर भी जब-जब समाज में नारी के प्रति एक तिरस्कृत भाव रखा जाएगा, तब- तब नारी द्वारा अपने शक्ति प्रदर्शन का नाम ही ‘दुर्गा’ है। नवरात्रि का तृतीय दिवस माँ चन्द्रघंटा को समर्पित है।

गौभक्त श्री संजीव कृष्ण ठाकुर जी
श्रीधाम वृन्दावन

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