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चिंतन:वास्तव में सच्चा मित्र वही है जो हमारी मति सुधार दे..

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राधे – राधे

आज का भगवद् चिन्तन

मित्रता का स्वभाव

विरोध करने वाला शत्रु नहीं अपितु गलत कार्यों का विरोध न करने वाला परम शत्रु होता है। दुर्योधन ने चाचा विदुर की बात मान ली होती तो महाभारत न होता और रावण ने भाई विभीषण की बात मानी होती तो लंका विध्वंश न होता। वास्तव में सच्चा मित्र वही है जो हमारी मति सुधार दे, जीवन को श्रेष्ठ गति देते हुए गोविन्द के चरणों में रति प्रदान कर दे।

लोग सोचते हैं कि स्वजन-प्रियजन वही है, जो हर स्थिति में आपका साथ दें लेकिन वास्तव में सच्चे प्रियजन वही हैं जो सदैव कुकर्म से आपको बचाने का प्रयास करें। वह व्यक्ति किंचित आपका शत्रु नहीं हो सकता जो आपको आपकी गलतियों का बार-बार स्मरण कराये अपितु वह आपका शत्रु अवश्य है जो आपके गलत दिशा में बढ़ते हुए कदमों को देखकर भी रोकने का प्रयास न करे।

गौभक्त श्री संजीव कृष्ण ठाकुर जी
श्रीधाम वृन्दावन

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